Monday 30 April 2018


जब तक मर्दजात स्त्री के प्रति अपनी घटिया मानसिकता को नहीं छोड़ देता तब तक स्त्रियों पर जुल्म होते रहेंगे। दरिन्दगी की हद होती है बच्ची ,जवान, बुढ़िया किसी को भी नहीं छोड़ा। लानत है ऐसे लोगों पर। जो देश जो सरकारे 70 वर्षों में अपनी स्त्री जाति को निर्भीकता पूर्ण वातावरण नहीं प्रदान कर पायी उनसे उम्मीद करना बेमानी है। आदमी के दिमाग में हवस का कचरा भरा है।
औरत पर जुल्म की कहानी नई नहीं है मर्द ने हर जगह उसपे जुल्म किया है। निर्भया आसिफा जैसी न जाने कितनी औरतों की सिसकियां घर की चौहदी में दफ़्न हो के रह जाती है। विडम्बना देखिए कानून के तथाकथित रखवाले भी शामिल है इस दरिंदगी में। कोई घटना होती है और व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, ट्विटर और तमाम दूसरे सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ जाती है.. गुस्सा ,विरोध सब कुछ होता है..नहीं होता है तो सिर्फ न्याय। वक़्त बीतता है और सब भूल जाते है। धिक्कार है मनुष्य होने पर..औरत के प्रति सोच बदलिए.. उम्र के आधे पड़ाव पर पहुंच चुके लोग लड़कियों पर कमेंट करते और गिद्ध दृष्टि के साथ देखे जा सकते है। ऐसे लोगो के लिए औरत महज एक उपभोग की वस्तु मात्र है। घटियापन की पराकाष्ठा है ये।
इतना सब हो रहा है और संभ्रांत समाज देख रहा है। क्यों सह रहे हो ? सोचिए... अपने चरित्र को उन्नत कीजिए ...स्त्री की मजबूरी को मजबूती बनाने में अपना कुछ योग दीजिये अगर कुछ इंसानियत बची है ।
अपनी बेटियों को मजबूत बनाइये मजबूर नहीं और अपने बेटों को संस्कार दीजिये ।तभी इंसानी शक्लों में मौजूद इन भेड़ियों से उन्हें बचा पाएंगे। मर्द जात के संस्कार और चरित्र के इस संकट में आप अपनी भूमिका खुद तय कीजिये
बकौल बल्ली सिंह चीमा
"तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो ।।"
Kk

Sunday 15 October 2017

DSR किस्सा 1
                        सुबह की गुनगुनी धूप और वातावरण में ताजगी है। रावले के तीन बुज़ुर्ग गुवाड़ में खड़े है। पहला बुजुर्ग सरकार और प्रशासन की वजह से हुई अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहा है। दूसरा और तीसरा उसको ध्यान से लेकिन हिलते हुए सुन रहे है और खीझ भी रहे है सरकार पर। एक युवा भी आके खड़ा हो गया । पहला – क्या बताए अब सरकारी कर्मचारियों को शर्म आनी चाहिए कि किसी योजना के कागजातों में मेरी बीवी की उम्र को इतना कम लिख दिया है कि वह उम्र में मेरी बेटी से छोटी हो गयी है। महज अठाइस साल की। दूसरा- इनका तो यही हाल है भाई ।कोई काम ठीक से नहीं। तीसरा मन में हंस रहा है। एक बुजुर्ग जो मनमौजी टाइप है और कभी कभी हवा में दो चार वाक्य फेंक मजे लेता हुआ निकल लेता है अपनी बकरियों के साथ- , आकर खड़ा होता है और कहता है क्या बात है हमे भी दिलवाओ कोई स्कीम है तो पेंशन पानसन। दूसरा बुजुर्ग -पड़ी है पेंशन।पहला बुजुर्ग अपनी बात दोहराता है।
पाँचवा बकरियों की तरफ बढ़ता हुआ एक वाक्य फेंकता है अच्छा ही तो हुआ है आपको तो बुढापे में मौज हो गयी बीवी 28 की हो गयी और क्या चाहिए। दूसरा और तीसरा दांत निकाल रहे और पहला सिद्धांत की बात भूल गया और प्रशासन और सरकार दूर छिटक गयी। गड़रिये की तरफ ताकता हुआ खिसियानी हंसी हंस रहा है।